वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। घर हम जब से बनवाते है तब से ही वास्तु हमारे जीवन में प्रभाव डालना शुरू कर देती है। वास्तु विज्ञान में दिशाओं का बहुत महत्व है। कोई भी वस्तु यदि अपनी सही दिशा में है, कोई भी कमरा यदि सही दिशा में है तो हमारे जीवन में सुख समृद्धि आती है। लेकिन यदि दिशा ज्ञान न हो और गलत जगह गलत वस्तु रख दी जाए तो वो प्रतिकूल प्रभाव डालेगा हमारे जीवन में, ये जरूर संभव है। इसलिए जब भी घर बनवाए या घर की साज सज्जा करें वास्तु का जरूर ज्ञान रखें। अन्यथा खुशियों की जगह हम घर में नेगेटिव ऊर्जा ले आयेंगे और कारण हमें पता भी नहीं चलेगा…
उत्तर दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा कुबेर की दिशा होती है, यहां आप घर की तिजोरी न रखे। तिजोरी हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इससे आपके घर में धन धान्य की कभी कमी नहीं होती। यदि आपकी दुकान है तो उसका गल्ला आप उत्तर दिशा की तरफ रख सकते है। दक्षिण दिशा को कभी भी खाली न रखें। आप चलता हुआ फव्वारा यहां लगा सकते है जो इस बात का सूचक होगा कि आपके घर लक्ष्मी सदा आती रहेगी।
पूर्व दिशा
वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा की बात करें तो इसके स्वामी सूर्य देव और इंद्र देव है। इस दिशा को खाली ही रखें। इस पर भार न डालें। कोई कबाड़ की चीज या जूते चप्पल न रखें इससे धन की हानि होती है। आप पूर्व दिशा में पौधे लगा सकते है जैसे मनी प्लांट या तुलसी। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
दक्षिण दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में हमेशा भारी सामान रखें। धन का या किसी धातु की वस्तु का संग्रह करें, इससे इसमें वृद्धि होगी। क्योंकि ये संग्रह करने की सबसे उचित दिशा है। इस दिशा में खुलापन या बाथरूम नहीं होना चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि ये यम के आधिपत्य की दिशा है, मंगल की दिशा है।इस दिशा को पृथ्वी का स्वामित्व भी मिला हुआ है। ये धन की दिशा है यहां धन का संग्रह करें। ये पराक्रम की दिशा है।
पश्चिम दिशा
इस दिशा के देवता वरुण है और ग्रह स्वामी शनि देव है। वास्तु अनुसार इस दिशा में किचन या बाथरूम हो सकता है पर एक बात का ध्यान जरूर रखें कि दोनो को पास पास न बनवाएं। एक दम उत्तर पश्चिम की तरफ किचन न हो इस बात का ध्यान रखे थोड़ा दूर हो। पश्चिम दिशा में अग्नि न जलाएं।
ईशान दिशा
घर की उत्तर पूर्व दिशा ईशान दिशा कहलाती है। ब्रहस्पति के आधिपत्य की इस दिशा में आप भगवान का मंदिर बनवा सकते है। ये दिशा भगवान शिव की दिशा है। यहां धार्मिक आयोजन किए जाने चाहिए।
आग्नेय दिशा
दक्षिण पूर्व दिशा को आग्नेय दिशा कहते है। ये अग्नि की दिशा है। ये अग्नि को दर्शाती है। इस दिशा में आप खाना बना सकते है या आपके घर में जो भी इलेक्ट्रोनिक आइटम्स है उन्हे इस दिशा में रख सकते है
नैऋत्य दिशा
घर की दक्षिण पश्चिम दिशा नैरित्या दिशा कहलाती है। ये दिशा खुली होनी चाहिए। ये हवा की दिशा है। यहां खिड़की दरवाजे होने चाहिए। यहां पर हवा का वेंटिलेशन होना चाहिए। घर का जो मुखिया है उसका कमरा इस दिशा में होना चाहिए लेकिन एक बात गांठ बांध लें कि बहुत ज्यादा खिड़की और दरवाजे भी इस कमरे में न रखे। पृथ्वी तत्व की इस दिशा का स्वामी राहु है और ये नागों की दिशा है।
वायव्य दिशा
उत्तर पश्चिम की दिशा वायव्य दिशा कहलाती है। इस दिशा में बेडरूम, गराज या गौशाला/garden भी हो सकती है। घर में यंग बच्चों का ये रूम हो सकता है लेकिन ध्यान रहे कि इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा न हो। इस दिशा का स्वामी चंद्रमा है। इस दिशा की तरफ यदि आप बाथरूम बनवाते है तो ये परफेक्ट दिशा है।

संक्षेप में
तो आपने इस आर्टिकल में जाना कि सही दिशा में सही वस्तु रखने का क्या महत्व है क्योंकि गलत जगह पर यदि हम वो चीज रख देते है जो नहीं रखनी चाहिए तो परिणाम प्रतिकूल हो सकते है और आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इन वास्तु नियमों का पालन करें और अपने घर को सजाएं।