महिला सशक्तिकरण की नींव थी इंदिरा गांधी

महिला सशक्तिकरण यानी महिलाओं का उत्थान, महिलाओं को आजादी से जीने का अधिकार देना, ये सब आज से कई साल पहले कहां था आसान। लेकिन आसानी से कुछ मिल जाए इसकी चाह भी किसे है। अपनी मेहनत अपनी योग्यता के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में को मजा है वो किसी और की परछाई बनने में कहां। इंदिरा गांधी भी ऐसी ही महिला थी जो अपनी योग्यता के दम पर कहलाई लौह महिला। माना कि इंदिरा गांधी के खून में ही था राजनीतिक गुण। राजनीति उनको विरासत में मिली थी पर हर कोई अपनी विरासत संजो कर रख सके ये जरूरी तो नहीं न। इंदिरा गांधी ने न सिर्फ अपनी विरासत को संभाल कर रखा बल्कि अपने पिता से भी अच्छी राजनीतिज्ञ साबित हुई।

महिला सशक्तिकरण की लिखी नई इबारत

राजनीति के क्षेत्र में इंदिरा गांधी ने अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। ये आसान नहीं था। इंदिरा गांधी को भी कई लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। और बनी भारत देश की पहली प्रधानमंत्री या यूं कहें कि पहली महिला प्रधानमंत्री। आज तक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि भारत के प्रधानमंत्री के पद पर कोई महिला बैठी हो। कई बार हम दूर से देखते है तो हमें उनकी सफलता दिखती है लेकिन उस सफलता के पीछे का संघर्ष नहीं दिखता। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाया है। उन्होंने महिलाओं को सपने देखना सिखाया और उनको पूरा करने की राह भी दिखाई। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में इतने महत्वपूर्ण निर्णय लिए और इतनी निडरता से लिए कि आज भी भारत उनका ऋणी है।

किए कई राजनीतिक बदलाव

इंदिरा गांधी राजनीति के आसमान का वो सितारा है जिसका नाम भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया अदब से लेती है क्योंकि उन्होंने जो फैसले लिए वो देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखे गए। ये उनका प्रभाव कहे या उनके व्यक्तित्व का कमाल कि एक समय में देश इंदिरा इज इंडिया कहते हुए थकता नहीं था। इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री ही नहीं रही बल्कि तीन साल तक लगातार प्रधानमंत्री बनी रही। 1980 से 1984 के बीच जब वो प्रधानमंत्री थी उस बीच उनकी हत्या कर दी गई और उनको इस बात का शायद आभास भी हो गया था। इसलिए उन्होंने अपनी मौत के एक दिन पहले ही भाषण में बोल दिया था कि आज में यहां हूं क्या पता कल रहूं न रहूं लेकिन मेरे रक्त की हर एक बूंद मेरे देश के नाम रहेगी। सच ही तो है आज भी देश उनके लिए फैसलों का सम्मान करता है। उन्हीं के कारण बांग्लादेश एक अपनी स्वतंत्र पहचान बना पाया।

महत्वपूर्ण फैसले जो बन गए मिसाल

उन्होंने शिमला समझौते को अस्तित्व में लाने के लिए भरपूर कोशिश की इसी कारण भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को शांति पूर्वक ढंग से उठाने के लिए राजी हुए।
इंदिरा गांधी ने भारत में परमाणु युग की शुरुवात की।
इंदिरा गांधी ने 1960 के समय में देश को खाद्यान निर्यातक के रूप में दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया। जो देश रोजमर्रा के खाद्य सामग्री के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता था वो इंदिरा गांधी की कोशिशों के चलते ही बाकी देशों के सामने उभर कर आगे आया।

इंदिरा गांधी ने भारत में 21 माह तक आपातकालीन घोषित के समय बहुत महत्वपूर्ण तरीके से निर्णय लिए। सभी की आलोचना झेलते हुए वो निर्भीक होकर अपने फैसले पर डटी रही। इस काल को भारत के इतिहास की काली अवधि भी कहा गया।
उन्होंने ऑपरेशन ब्लूस्टार भी चलाया जिसके चलते उन्होंने सिखों की काफी नाराजगी भी झेली। जिसके चलते ही सिख समुदाय के अंग रक्षकों ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी। वो उनको तो चुप करा गए लेकिन उनके किए गए कार्य आज तक बोलते है।

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