बेटियां होंगी शिक्षित तभी होगा समाज का विकास

वो कहते है न कि जब आप एक आदमी यानि कि एक पुरुष को शिक्षित करते है तो सिर्फ वो अकेला ही शिक्षित होता है लेकिन जब एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। ये बात तो आपने सुनी होगी और कहीं न कहीं ये बात मानते भी होंगे। आज के समय की मांग है चाहे लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा आत्मनिर्भर तो बनाती ही है साथ ही हमें सही गलत में फर्क करना भी सिखाती है। लड़कों को तो परिवार शिक्षित करता ही है, लेकिन परेशानी तो लड़कियों की शिक्षा में आती है। पहले के समय में क्यों नहीं पढ़ाते थे बेटियों को क्या आप जानते है ?

क्यों नहीं पढ़ाया जाता था बेटियों को

पहले के समय में बालिका शिक्षा को इतना महत्व नहीं दिया जाता था क्योंकि लड़कियों को घर के काम तक ही सीमित रखा जाता था। लड़कियों को पराया धन समझा जाता था और कम उम्र में उनकी शादी कर दी जाती थी, इसलिए वो कितनी पढ़ी लिखी है उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। आज भी कई परिवार ऐसे है जो लड़कियों की शिक्षा में पैसे खर्च करना फालतू मानते है जबकि घर की लड़कियों को शिक्षित करने के कई फायदे है।

महिला शिक्षा की अलख किसने जगाई

देश की पहली महिला अध्यापिका , नारी मुक्ति आंदोलन की पहली महिला नेता रही सावित्री बाई फूले जिन्होंने महिला शिक्षा को समर्थन दिया और नई पहचान दिलाई। इसके लिए उन्हें बहुत विरोध भी सहन करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो लड़ती रही समाज की खोखली रूढ़ी वादी सोच से। सावित्री बाई ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया। लगभग 160 साल पहले जब लड़कियों को पढ़ने क्या पढ़ाई के बारे में सोचने तक की अनुमति नहीं थी उस समय पुणे में पहला बालिका स्कूल खोला।

बालिकाओं को शिक्षित करने के फायदे

1.भविष्य को सही आकार देना

यदि परिवार की लड़की शिक्षित होगी तो वो सक्षम होगी अपने लिए हर निर्णय लेने के लिए। जी हां हर लड़की को ये अधिकार है कि वो अपने जीवन के फैसले खुद लें। यदि लड़की शिक्षित होगी तो अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएगी। अपने हक के लिए लड़ेगी और अपने फ्यूचर को सिक्योर भी करेगी।

2.आर्थिक रूप से सक्षम

पढ़ी लिखी एजुकेटेड लड़कियां आय के लिए अपने परिवार पर निर्भर नहीं रहेंगी बल्कि आर्थिक रूप से परिवार की मदद ही करेंगी। आज के समय में को खर्चे है वो सिर्फ एक व्यक्ति की आय से पूरे नहीं होते बल्कि हसबैंड वाइफ दोनों को बराबर जॉब करके घर की, बच्चों की जरूरतों को पूरा करना होता है। जब महिलाएं पढ़ेंगी तभी ये मुमकिन हो पाएगा।

3.मृत्यु दर कम होती है

जी हां पहले महिलाओं की कम उम्र में शादी होती थी तो कम ही उम्र में वो मां बन जाती थी। अब जब महिलाओं ने शिक्षा का दामन थामा है तब से वो अपनी शादी की उम्र के अनुसार ही शादी करती है और मां बनती है तब जब उनका शरीर मां बनने के लिए तैयार होता है। इससे मृत्यु दर में भी कमी आई है।

4.स्वास्थ्य लाभ

जब कोई महिला शिक्षित होती है तो जागरूक होती है अपने स्वास्थ्य के प्रति और सिर्फ अपने ही क्यों परिवार के स्वास्थ्य को लेकर भी सजग रहती है। गंभीर बीमारियों के बारे में उसे पता होता है और उनके बचाव के बारे में भी। इसीलिए हर कोई अपने घर में एक पढ़ी लिखी बहु लाना चाहता है।

5.घरेलू या यौन हिंसा के प्रति सतर्क

जब तक महिला अशिक्षित होती है तभी तक कमजोर होती है क्योंकि उसे आवाज उठाना नहीं आता। लेकिन पढ़ने के बाद उसमे अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आती है। यदि कोई उस पर अत्याचार कर रहा है तो वो उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है।

6.देश के आर्थिक विकास में योगदान

एक शिक्षित महिला पूरे समाज का, पूरे देश का नक्शा बदल सकती है। जी हां यदि महिलाएं शिक्षित होंगी तो उस देश का विकास ही विकास होगा। महिलाओं की शिक्षा से देश की श्रम शक्ति बढ़ेगी और श्रम शक्ति बढ़ने से देश का आर्थिक स्तर सुधरेगा।

महिलाएं है परिवार का स्तंभ

जी हां यदि हम महिलाओं को परिवार का स्तंभ कहेंगे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि एक लड़की पहले अपने मायके को, फिर अपने ससुराल को और फिर अपने खुद के बच्चों को शिक्षित करती है। मां ही बच्चे की पहली गुरु होती है। यदि मां शिक्षित होगी तो बच्चे में अच्छे संस्कार विकसित कर पाएगी।

वो महिलाएं जो शिक्षा के क्षेत्र में लाई महत्वपूर्ण परिवर्तन

इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि महिलाओं ने अपना वर्चस्व हर क्षेत्र में बना रखा है। चाहे आसमान छूना हो या धरती को मापना हर जगह महिलाओं का बोल बाला है। हम जानें उन महिलाओं के बारे के जिन्होंने महिला शिक्षा के लिए बहुत कार्य किया।

जिनमे पहला नाम तो है सावित्री बाई फूले जिसके बारे में हम ऊपर उल्लेख कर चुके है। इनके अलावा कादिम्बिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु जो भारत की पहली महिला स्नातक थी। साथ ही कादम्बिनी तो पहली महिला फिजिशियन भी रही है। इन लोगों ने कोयला खादानों में काम कर रही महिलाओं के लिए बहुत काम किए।

एक और नाम जो यहां लेना जरूरी है बेगम जफर अली। ये कश्मीर की पहली महिला थी जिन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। ये लड़कियों को शिक्षित करने और उनके हक के लिए उनको जागरूक करती रही। आज भी स्त्री शिक्षा को सरकार बढ़ावा दे रही है कई कार्यक्रमों के द्वारा। ताकि शहर की ही नहीं बल्कि गांव की स्त्रियां भी शिक्षित हो।

समीक्षा

तो आपने जाना कि स्त्री शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है केवल स्वयं के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए। तो शिक्षा की अलख जगाएं अपनी बेटी को जरूर पढ़ाए और समाज में जागरूकता लाएं।

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