पायल की स्ट्रेस से जंग और उस पर विजय की कहानी – क्या ये स्टोरी आपकी भी तो नहीं?

Image by Shiv Mirthyu from Pixabay

ये है पायल की स्ट्रेस से जंग की कहानी। पायल एक बहुत ही होशियार लड़की थी शुरू से ही। चाहे पढ़ाई का क्षेत्र हो या स्पोर्ट्स एक्टिविटी, चाहे भाषण प्रतियोगिता हो या डांस परफॉर्मेंस सभी जगह सबकी जुबां पर पायल का ही नाम सबसे पहले आता। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उसकी जॉब भी बड़ी कंपनी में लगी थी। सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था।

लेकिन कुछ दिनों से पायल गुमसुम रहने लगी थी। हसमुख पायल अब चुपचाप हो गई थी। न किसी से बात करना उसे पसंद था न ही किसी से मिलना। पायल को क्या चिंता थी जो उसे परेशान कर रही थी। कहते है चिंता चिता के समान होती है। चिंता आती तो अकेली है पर साथ में आप सुख चैन सब लेकर चली जाती है। पायल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

“पायल ये सब क्या है, आजकल तुम्हारा ध्यान कहां है, एक भी पेपर सही नहीं है। कैसे प्रेजेंटेशन दोगी तुम कंपनी वालों के सामने। ” पायल के बॉस ने फाइल टेबल पर फेंकते हुए कहा।

“सो सॉरी सर….. “

“सॉरी वॉट सॉरी! अगर तुम्हारा मन नहीं लग रहा काम पर तो तुम हमेशा के लिए जा सकती हो, हम कोई और इम्प्लोई ढूंढ लेंगे।”

“सर एक मौका दीजिए , मैं अभी अपनी गलती दूर कर देती हूं। ये प्रोजेक्ट हमें ही मिलेगा डोंट वरी। “

ये कहकर पायल बाहर आ गई। और अपनी सीट पर आकर रोने लगी।

“लो पानी पियो, “

प्रखर ने बॉटल देते हुए कहा।

“क्या हुआ पायल कोई परेशानी है मुझे बताओ, क्यों आजकल गुमसुम दिखती हो।”

“कुछ नहीं प्रखर, बस आजकल मन कुछ भी न करने का करता है। मन करता है कहीं दूर चली जाऊं। जहां न काम का प्रेशर हो न कोई परेशानी। खैर मैं ठीक हूं। तुम अपना काम करो वरना बॉस ने देख लिया तो तुम्हे भी सुनाएंगे।”

पायल ये कहकर फाइल खोल कर बैठ गई पर प्रखर साफ देख रहा था पायल के चेहरे पर परेशानी की लकीरें।


प्रखर सिर्फ पायल का कलीग ही नहीं था उसका बॉय फ्रेंड भी था। पायल कुछ दिनों से उसका फोन भी अटेंड नहीं कर रही थी न ही उसके मैसेज का जवाब दे रही थी। चाह कर भी प्रखर कुछ नहीं कर पा रहा था।


एक दिन प्रखर ने पायल को कॉल किया । तीन कॉल के कट जाने के बाद प्रखर को चिंता हुई कि आखिर मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही पायल। प्रखर रात के दस बजे पायल के घर गया। डोर बेल बजाई, पर ये क्या पायल तो दरवाजा ही नहीं खोल रही।


प्रखर पायल के मकान मालिक के पास गया उसको बोला, “डोर लॉक है प्लीज हेल्प दरवाजा खोलिए।”

मकान मालिक ने दूसरी चाभी दी और प्रखर ने दरवाजा खोला।

ये क्या, दरवाजा खोलते ही प्रखर के होश उड़ गए। पायल तो जमीन पर बेहोश पड़ी थी और नींद की गोलियां बिखरी पड़ी थी। प्रखर को समझते देर न लगी । वो तुरंत पायल को हॉस्पिटल ले गया और डॉक्टर ने तुरंत उसे एडमिट कर लिया।


“प्रखर परेशान होकर डॉक्टर से पूछता है, “डॉक्टर क्या हुआ पायल को ? वो ठीक तो है न? उसने ज्यादा गोली तो नहीं खा ली। “


डॉक्टर ने कहा – “कैसी गोली? पायल को कमजोरी की वजह से चक्कर आए है और वो बेहोश हुई है। हमने सारे टेस्ट कर लिए है रिपोर्ट आने के बाद ही आपको बता पाएंगे कि प्रॉब्लम क्या है।”



प्रखर सोच में पड़ गया कि अगर उसने गोली नहीं खाई तो दवा बिखरी हुई कैसे?

खैर प्रखर पायल के होश में आने का इंतजार कर रहा था। जब रात को एक बजे पायल को होश आया तो प्रखर ने पायल से पूछा, ” क्या हुआ पायल, तुम बेहोश कैसे हुई? पायल सिर्फ रो रही थी। रोते रोते फिर बेहोश हो गई।


तभी डॉक्टर प्रखर के पास आकर कहते है, “पायल की सभी रिपोर्ट नॉर्मल है, पर जैसा कि मैं देख सकता हूं पायल को कोई चिंता है जो मन ही मन खाए जा रही है और वो डिप्रेशन का शिकार होती जा रही है।”

“डिप्रेशन कैसे डॉक्टर, पायल तो बहुत हसमुख लड़की है।”

प्रखर को याद आ रहा था अब कि कैसे पायल का व्यवहार दिनों दिन बदल रहा था। वो डॉक्टर को पायल की जिम्मेदारी देकर तुरंत पायल के घर गया वहां उसने पायल की डायरी पढ़ी।

पायल ने उसमें कई बातें लिखी थी कि पापा की बीमारी दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है, राहुल पायल का भाई पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता पर उसकी कॉलेज की फीस उसे जमा करनी है। मां का ये कहना कि तेरी शादी के बाद हमारे घर का खर्च कौन उठाएगा।


इन सब बातों के चलते पायल प्रखर के बारे में घर पर बता ही नहीं पा रही। और परेशान हुए जा रही है। उसके स्ट्रेस का दुषप्रभाव ये हुआ कि वो हंसना भूल गई। चिढ़चिढ़ी रहने लगी, जहां हर क्षेत्र में अव्वल थी अब पिछड़ने लगी।


पायल का ये लिखना कि आज में खुद को मारने जा रही पर हिम्मत नहीं हो रही, प्रखर को अंदर तक हिला गया।और जब खुद को मारने की वजह पढ़ी तो प्रखर के रोंगटे खड़े हो गए।

सचिन जो कि पायल का रिलेशन में कजिन लगता है उसने उसका शारीरिक शोषण किया और वो ये बात किसी को नहीं बता पा रही, क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि कोई उसकी बात में यकीन नहीं करेगा। ऐसे में वो खुद को प्रखर के लायक नहीं समझ पा रही और प्रखर से दूर रहने लगी थी। इन सब परेशानियों के चलते वो जॉब भी नहीं छोड़ सकती थी क्योंकि उसकी जॉब पर उसका परिवार टिका था। ऊपर से पायल के फोन में सचिन के मैसेज जो लगातार उसे ब्लैकमेल कर रहा था। अब पायल की मनःस्थिति को प्रखर समझ चुका था।


प्रखर फौरन पायल के पास आया। दो दिन तक हॉस्पिटल में पायल की खूब सेवा की फिर जब पायल को छुट्टी मिली तब वो उसे उसके माता पिता के पास ले जाने लगा। पायल ने पूछा, “ये कहां जा रहे हम।” प्रखर ने कहा – “मम्मी के घर।”


पायल डर गई , “तुम क्यों चल रहे मेरे साथ, क्या कहूंगी मैं सब से।”


शाह्हह…. चुप, कुछ मत कहो, मैं सब संभाल लूंगा।


प्रखर ने घंटी बजाई पायल की मां ने दरवाजा खोला। और पायल को देखते ही गले से लगा लिया। नॉर्मल बात चीत और खाने के बाद पायल अपने रूम में आराम करने चली गई। जब दो घंटे बाद बाहर आई तो देखती है कि प्रखर तो बहुत घुल मिल कर सबसे बात कर रहा है। पायल की मां ने पायल को बुलाया, बोली – “पायल हमें पहले क्यों नहीं बताया तुम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते है।”

“नहीं मां…ऐसी कोई बात नहीं है।”

” झूठ मत बोल अब मुझसे,”

पायल ने सिर झुका लिया।

तभी प्रखर पायल के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर बोला, “तुम्हारे मां बाप मेरे भी मां बाप है हम उनको अपने साथ ही रखेंगे। राहुल की पढ़ाई की जिम्मेदारी मेरी मैं उसे पढ़ा लूंगा। “


पायल ने कहा – “मैं तुम्हारे लायक नहीं प्रखर तुम नहीं समझोगे। मैं सब जानता हूं पायल प्रखर ने हाथ पकड़ते हुए कहा।”

” मतलब…”

“मतलब ये कि मैंने सचिन के खिलाफ कंप्लेन कर दी है बस तुमको बयान देना है बिना डरे।”


तभी पायल के कंधे में मां हाथ रखते हुए कहती है, “चाहे वो तुम्हारा कजिन ही क्यों न हो गलत की सजा उसे जरूर मिलेगी। तू सब अकेले सहती रही, अरे एक बार बता कर तो देखती। हम सब मिल कर हर समस्या का हल निकाल लेते।”


अब पायल का मन हल्का हो गया था। उसके चेहरे में बहुत समय बाद एक मुस्कान थी।

कुछ दिन घर में बिताने के बाद वो वापस काम में लौट गई। फुल मन लगा कर काम करने लगी थी पायल।


सचिन को भी उसके किए की सजा मिल चुकी थी। परिवार के साथ ने उसे डिप्रेशन से निकलने में मदद की। अब पायल समझ गई थी कि बात करना किसी अपने से कितना जरूरी है।


तो आपने देखा न कि डिप्रेशन किस हद तक व्यक्ति को खोखला कर जाता है। हम तनाव को, स्ट्रेस को हल्के में ले लेते है पर ये वो मानसिक बीमारी है जो हमें अंदर से कमजोर बनाती है। इससे यदि हमें उबरना है तो इन बातों का ध्यान रखें..


  • सुबह मेडिटेशन करें।
  • अपनी पसंद का काम करने के लिए पूरे दिन में एक घंटे का समय अवश्य निकालें।
  • फ्रेंड्स रिश्तेदारों से बात करते रहें।
  • अच्छा म्यूजिक सुनें और छोटी छोटी खुशियों में खुश होने की वजह तलाशें।
  • समस्या को शांत रहकर सुलझाने का प्रयास करें।

इन्ही सब सुझावो को follow कर के आप stress को अपने पर हावी होने से रोक सकते हैं।

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