पहली बार माता पिता बनना दुनिया का सबसे बड़ा सुख है। जब आपका बच्चा पहली बार आपकी गोद में आता है बस वो पल वहीं ठहर जाए ये ही दिल करता है। ये पल जहां ढेर सारी खुशियां लेकर आता है वहीं लाता है ढेर सारी शंकाएं, ढेर सारे सवाल कि कैसे हम इसका ध्यान रखें, कैसे हम इसको संभाले? कुछ भी नहीं पता हमें कहीं नहलाते हुए ये फिसल तो नहीं जायेगा, इसकी मालिश कैसे करें ये तो बहुत नाजुक है? तमाम सवाल मन में घूमते रहते है। कोई बड़ा हो हमारे साथ तो ये मुश्किलें काफी हद तक कम हो जाती है लेकिन यदि आप अकेले रहते है और पहली बार पेरेंट्स बने है तब तो ये उलझन लाज़मी है। आपके इन्हीं सारे सवालों का जवाब है इस आर्टिकल में…
ब्रेस्ट फीडिंग है जरूरी
नवजात शिशु के लिए मां के दूध से ज्यादा जरूरी कुछ भी नहीं। आप भी सिर्फ बच्चे को अपना दूध ही पिलाएं। जा शुरू में आपको लग सकता है कि हर वक्त बच्चा दूध ही पी रहा है लेकिन थोड़े टाइम बाद मां और बच्चा दोनों ही अपना टाइम सेट कर लेते है दूध पीने का, इसलिए चिंता न करें।
बच्चे को कैसे नहलाएं
छोटा बच्चा बहुत नाजुक होता है। बच्चों को भी एक अजीब सा डर लगता है, बच्चे थोड़ा व्याकुल हो जाते हैं क्योंकि हर जगह उनको पानी दिखता है और उनके शरीर में कपड़ों का ना होना भी उनको बेचैन कर देता है। लेकिन इस समय आपको धैर्य से काम लेना है और बच्चों को ऐसे पकड़ना है कि वह आपके हाथ से गिरे नहीं। बाद में बच्चों को नहाने में मजा आने लगता है। एक तो इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को हमेशा गुनगुने पानी से नहलाएं। हफ्ते में एक या दो बार ही नहलाए बाकी दिन स्पॉन्ज करें। शुरू के एक महीना साबुन या शैंपू का प्रयोग न करें। बच्चे के साथ खेले, उसे कुछ गाकर सुनाएं, कुछ टॉयज रखें ताकि उसे धीरे धीरे मजा आने लगे नहाने में।
ऐसे सुलाएं
बच्चों को नहलाने से पहले अच्छे से मालिश कीजिए और थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी कराइए। फिर जब आप उसे नहलाएंगे तो बच्चा थक जाएगा और फिर दूध पिलाकर आप उसे सुला दीजिए, इससे बच्चा देर तक सोएगा। छोटे बच्चे ज्यादा देर तक सोते है और कम खाते है फिर धीरे धीरे जैसे जैसे वो बड़े होते है उनको नींद कम आती है। यदि नवजात शिशु देर तक सोता है तो आप उसे जगाकर बीच में दूध जरूर पीला दें।
डाइपर बदलते वक्त रखें इस बात का ध्यान
वैसे तो बहुत छोटे बच्चों को डाइपर न पहनाने की सलाह दी जाती है। लेकिन यदि कही बाहर जाते समय जहां आपको चेंज की जगह न मिले तो डाइपर पहनाना ही पड़े तो सफाई का बहुत ध्यान रखें। चार, पांच घंटे से ज्यादा डाइपर न पहनाएं। यदि बच्चा पॉटी कर लेता है तो तुरंत बदल दें डाइपर वरना उसकी स्किन में इन्फेक्शन हो सकता है।
टच थेरेपी है जरूरी
डॉक्टर भी ये कहते है कि बच्चों के लिए मां का स्पर्श बहुत जरूरी है। बच्चे को प्यार से गले लगाए, अपने सीने से चिपकाए, प्यार से बच्चे का माथा चूमे,ममता से बच्चे का माथा सहलाए। बच्चे प्यार की भाषा बहुत अच्छे से समझते है। टच थेरेपी बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
बच्चे से करें बात
जी हां नवजात शिशु ही क्यों न हो , एक मां को बच्चे से बात करनी चाहिए। इससे बच्चा का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है। बच्चे को लोरी सुनाना, अपने सीने से लगाकर थपकी देना, जब वो आपको देखे तो उसे ये बताना कि आप उसकी मां है, ये उसके पिता है। ऐसे प्यार से बच्चे से बातें करके उससे खुद को कनेक्ट करें। इससे बच्चा आपके और करीब आएगा।
दूध की बोतल की करें ऐसे सफाई
वैसे तो बच्चों को बोतल से दूध न पिलाने की सलाह दी जाती है लेकिन कई लोग जिनके ज्यादा दूध नहीं आता या वो वर्किंग वुमन है तो वो अपने बच्चों को बोतल से दूध पिलाने लगती है ताकि बच्चा भूखा न रहे और कोई भी उसे दूध पिला सके। ऐसे में दूध की बोतल की सफाई बहुत जरूरी होती है। ज्यादा देर तक बोतल में दूध न रखें। जितनी जरूरत हो उतना ही दूध बोतल में भरें। हर बार दूध पिलाने के बाद बोतल को उबलते पानी से धोएं ताकि उसमे से स्मेल न आए। लेकिन कोशिश ये ही करें कि बच्चे को बोतल से दूध न पिलाएं क्योंकि ये उसकी हेल्थ के लिए अच्छी नहीं है।

एक बच्चे का जन्म एक औरत का दूसरा जन्म होता है। ये बच्चा सिर्फ एक संतान नहीं बल्कि एक सपना एक उम्मीद होती है। तो बच्चे के साथ हर पल को एंजॉय कीजिए और उसकी सेहत का भी ध्यान रखिए।