
क्या हम गणपति की मूर्ती से life education tips ले सकते हैं? जी हाँ, ऐसा संभव है| वेद पुराणों की मानें तो गणपति के हमारे घर आगमन का शुभ दिन है गणेश चतुर्थी। गणपति यानी विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य देवता है जिनकी आराधना तो त्रिदेव भी करते है। गणेश पुराण के अनुसार भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्री गणेश का जन्म हुआ। इसलिए आज के दिन गणेश चतुर्थी का पावन उत्सव मनाया जाता है।
गणपति – भण्डार हैं ज्ञान का, best life education tips का
यूं तो गणपति के अनेक नाम है लेकिन उन्हें मंगल मूर्ति क्यो कहा जाता है, कभी सोचा है आपने ? क्योंकि गणेश जी का प्रत्येक अंग हमें बहुत कुछ सिखाता है प्रेरणा देता है जिसके ज्ञान मात्र से हमारा कल्याण हो जाता है। जीवन जीने की सही कला सिखाते है हमें गणपति के अंग। आइए आप भी जान लीजिए कि गणपति के ये अंग क्या कहते है….
गणपतिं बप्पा के विभिन्न अंग और उनके सन्देश
- वृहद मस्तक
यदि गणेश जी का स्वरूप आप गौर से देखें तो आपको उनका मस्तक सबसे बड़ा दिखेगा। अंग विज्ञान के अनुसार जिनका मस्तक बड़ा होता है वो अच्छा नेतृत्व करने वाले होते है। ऐसे लोगों को बुद्धिमान व्यक्ति की उपाधि प्राप्त होती है। क्योंकि वो कुशाग्र बुद्धि के स्वामी होते है। गणेश जी का बड़ा मस्तक हमें ये शिक्षा देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाएं। हमेशा दो कदम आगे की सोचें।
- छोटी आंखें
गणेश जी का मस्तक तो बड़ा है लेकिन आंखें छोटी है। इसका अर्थ ये है कि ऐसे व्यक्ति काफी गंभीर और सोच समझ कर कार्य करने वाले होते है। यानि कि गणपति जी की छोटी आंखें ये सीख देती है कि हमें कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए। हमेशा सोच विचार करके ही आगे बढ़ना चाहिए। गणेशजी का ये अंग कभी किसी को धोखा न दें ये सिखाता है।
- लंबे कर्ण
गणेश जी के कान बहुत लंबे है इन्हें गजकर्ण या सूपकर्ण भी कहा जाता है। अंग विज्ञान में कहा गया है कि लंबे कान वाले व्यक्ति की लंबी उम्र होती है और वो बहुत भाग्यशाली होते है। गणपति के लंबे कान हमें ये सीख देते है कि अपने कानों से सबकी बातें सुनें| हर कहीं से ज्ञान अर्जित करो और फिर अपनी बुद्धि से कार्य करें कि आपको क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए। हमेशा सजग रहें, ये सीख देते है गणेश जी के लंबे कान। गलत बातों को अपने अंदर प्रवेश न करने दें और सही बातों को अपना लें।
- सूंड
गणपति की सूंड कभी स्थिर होकर नहीं बैठती, हमेशा इधर उधर घूमती रहती है। यानि कि गणपति की सूंड हमें ये ज्ञान देती है कि आप कभी भी स्थिर होकर न बैठे अपना कर्म निरंतर करते रहें। क्योंकि जो निरंतर कर्म करता है उसे कभी भी गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता। वो हमेशा रिद्धि सिद्धि से संपन्न रहता है। गणेश जी की सूंड की दिशा का भी जीवन में बहुत प्रभाव पड़ता है। जो लोग धन सुख समृद्धि की कामना करते है उन्हें दांई ओर सूंड वाले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। और जो लोग चाहते है कि उनके शत्रुओं पर उनकी विजय हो वो बांई ओर सूंड वाले गणेश जी की पूजा करें।
- बड़ा पेट
गणेश जी को लंबोदर उनके बड़े पेट के कारण ही कहा जाता है। गणेश जी सभी तरह के व्यंजन को अपने पेट में ग्रहण कर लेते है| और हमें ये शिक्षा देते है कि अच्छी और बुरी सभी बातों को आप अपने आप में समा लें लेकिन अपनी समझदारी से काम लें। बुरी बातों को ग्रहण न करें उन्हें त्याग दें। साथ ही बड़ा पेट हसीन ये सीख देता है कि कोई यदि आपको अपनी बातें बताएं तो उन्हे अपने पेट में पचा लें किसी से शेयर न करें। क्योंकि जो बातें इधर उधर नहीं करता वो बहुत खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।
- एक दांत
बचपन में जब गणेश जी महाभारत ग्रंथ को लिख रहे थे तब लेखनी टूट जाने के कारण उन्होंने अपने एक दांत को तोड़कर उसे लेखनी बना लिया। इससे हमें ये सीख मिलती है कि कोई भी कार्य हाथ में लो तो उसे पूरा अवश्य करो | डटे रहो चाहे कितनी मुश्चाकिल भी क्यूँ ना आ जाए | और, अपनी कमजोरी को ताकत बना कर सदा आगे बढ़ो ये सीख देता है हमें गणपति का एक दांत।
संक्षेप में
जीवन में प्रेरणा की ज़रूरत सभी को होती है | तो क्यूँ न प्रेरणा स्त्रोत उसे बनाया जाए जो सर्वोपरि है| श्री गणपति की मंगल मूर्ती अपने आप में ही एक संपूर्ण विद्यालय है values development का | तो आइये बदलें अपने जीवन को वो सन्देश अपना कर जो गणपति बप्पा की मूर्ती हम तक पहुंचती है | शायद इसी लिए कहा गया है – दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती जय देव, जय देव!!!
nice article
– Pratiksha
Bahut achcha