हर बच्चा अपने आप में खास होता है। बस जरूरत है उसके अंदर की काबिलियत को पहचानने की और उसे बाहर लाने की। ताकि बच्चे को खुद पर विश्वास हो जाए क्योंकि हर बच्चा टॉपर नहीं हो सकता। हर बच्चे में कोई न कोई ऐसी क्वालिटी जरूर होती है जो उसे सबसे अलग बनाती है। बच्चे वो हीरा होते है जिनको तराश करके ही हम उसकी चमक देख सकते है। अगर कोई उसकी चमक को निखार सकता है तो वो है पेरेंट्स। जी हां बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते है उनको किस रूप में ढालना है ये उनके माता पिता पर निर्भर करता है।
अगर बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा और आपको इस बात की चिंता है कि पढ़ाई भी बहुत जरूरी है जीवन में तो बच्चे को ब्लेम मत कीजिए। अपने तरीकों को बदल कर देखिए जिससे बच्चा मोटिवेट हो सके….
- हर कोशिश में उसकी सराहना करें
जी हां ये बहुत जरूरी है कि आप उसकी हर कोशिश में उसका साथ दें। उसे ये सिखाए कि जीतने के लिए मत पार्ट लो बल्कि कुछ नया सीखने के लिए पार्ट लो। उसके अंदर किसी के प्रति प्रतिस्पर्धा की भावना न डालें बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा की भावना डालें। बच्चे की छोटी छोटी कोशिशों में उसकी तारीफ करें, उसे इनाम दें ताकि जब वो अगली बार किसी परीक्षा में भाग लें तो दुगनी मेहनत से लें।
- नई चीजें सीखाने पर दें ध्यान
ये न सोचे कि मेरा बच्चा तो क्लास में पीछे रह गया, उस बच्चे के तो इतने अच्छे नंबर आए है। हो सकता है आपका बेटा पढ़ाई में तेज न हो पर गेम्स में तो तेज है न। तो बच्चे को नंबर के पीछे रेस लगाने को न बोले। उसे नई चीजों को समझने और सीखने दें। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होगा उसको समझदारी आने लगेगी। उस पर कभी भी नंबर्स को लेकर दवाब न बनाएं।
- बच्चे को गिफ्ट देकर करें मोटिवेट
बच्चा चाहे छोटा हो या बड़ा उसे गिफ्ट्स पसंद आते है। तो जब भी बच्चा कुछ अच्छा परफॉर्मेंस करें या फिर खुद को ही नेक्स्ट एग्जाम में बीट करें तो उसे रिवार्ड दें। ताकि बच्चा अगली बार अपना बेस्ट दें। हां हर बार गिफ्ट देकर उसकी आदत भी न बिगाड़े। पर जब बच्चे ने अपनी कैपेसिटी से बाहर जाकर कुछ अच्छा हासिल किया हो तो जरूर उसे सराहे।
- डराएं नहीं
आम तोर पर पैरेंट्स बच्चे के फेल हो जाने पर उसे बहुत डांटते है और एग्जाम के पहले ही डरा देते है उसे कि अगर वो फेल हुआ या कम नंबर लाया तो हम ये कर देंगे वो कर देंगे। इससे बच्चा डरने लगता है। डराने का साइड इफेक्ट ये होता है कि आगे जाकर वो आपसे अपनी बातें छुपाने लगता है। इसलिए प्यार से अपने बच्चे के साथ पेश आएं। उसकी असफलता में भी उसके साथ रहे और गलतियों से सीखने के लिए प्रेरित करें।
- टाइमटेबल है बहुत जरूरी
कई बार बच्चे अपने आप को बहुत लाइट लेने लगते है। इसलिए बच्चों का एक टाइमटेबल बनाएं। जिसमे हर काम जैसे सुबह फ्रेश होने से लेकर रात में सोने तक के लिए हर का के लिए टाइम निश्चित हो। इससे बच्चा अपना हर काम टाइम से करना सीखेगा। हो सकता है शुरू में उसे दिक्कत आएं पर धीरे धीरे वो इसका यूज्ड टू हो जायेगा।
- दूसरों से कंपेयर न करें
ये बहुत जरूरी बात है कि कभी भी अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। यहां तक कि उसके सगे भाई बहन से भी नहीं। क्योंकि इससे बच्चा हीन भावना का भी शिकार हो सकता है। आप पहले ये देखें कि भले ही हमारा बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं कर रहा पर दूसरे किसी काम में जरूर अच्छा होगा उसके लिए उसको प्रेज करें। कंपेयरिंग से बच्चे के अंदर जलन, ईर्ष्या की भावना भी आ सकती है।
- बच्चे पर रखें पूरा विश्वास
आप अपने बच्चे पर करें पूरा विश्वास। उसे किसी परेशानी से खुद ही लड़ने दें। उसका साथ जरूर दें पर उसे खुद रास्ता खोजने दें। इससे उसके अंदर खुद के प्रति आत्मविश्वास जागेगा और वो किसी भी काम को करने के लिए मोटीवेट होगा।
और ये ही नहीं,
इसके अलावा हमेशा बच्चों को इमोशनल सपोर्ट दें। हमेशा उनके साथ खड़े रहे, उनकी हर सफलता और असफलता में उनका मोरल बढ़ाएं।